होली आई

होली आई


आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक

लक्षण- मापनी मुक्त
परिचय-- महारौद्र वर्ग भेद (28,657)
यति -- 8,8,६

पदांत-- IIS (सगण)


रंग लगाओ, भंग पिलाओ, सब जमके।
होली आई, खुशियाँ लाई, मुख दमके।।
गाल गुलाबी, चाल शराबी, झूम रही।
भर पिचकारी, किसने मारी, बूझ सही।।

भीगी चोली, ओ हमजोली, रंग भरी।
राधा आगे, कान्हा भागे, जंग खरी।।
भर गुब्बारे, छत से मारे, जोर लगी।
चोरी - चोरी, रंगी गोरी, मौन ठगी।।

बिगड़ी रंगत, जमती संगत, रंग भरा।
गाने गाते, मौज मनाते, संग जरा।।
ढोल - मजीरे, नाच सखी रे, मस्त जरा।
शोर - शराबा, करते बाबा, जोश भरा।।

लड्डू गुजिया, नमकी भुजिया, चट्ट करें।
छूट न जाए, जो भी आए, फट्ट धरें।।
रस बिखरा है, रंग भरा है, मौसम में।
होली खेलें, मिटे झमेले, आपस में।।

रंग बिरंगी, ऋतु सतरंगी, फागन की।
याद सतावे, नींद न आवे, साजन की।।
अब घर आजा, मेरे राजा, सुन विनती।
सुन परदेसी, होली कैसी, दिन गिनती।।

आभार - नवीन पहल - २५.०३.२०२४💞💞

# दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता 

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5 Comments

Shnaya

11-Apr-2024 05:07 PM

V nice

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Gunjan Kamal

10-Apr-2024 01:58 PM

बहुत खूब

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Gobind Rijhwani "Anand"

27-Mar-2024 12:09 PM

बहुत बढ़िया 👌👌👌💐🎉👌👌

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